एम आर आइ क्या है ? - एम आर आइ एक इमेजिंग तकनीक है जिसमें एक सघन चुंबकीय क्षेत्र एवं रेडियो तरंगों के माध्यम से मानव शरीर की आंतरिक संरचना की जानकारी प्राप्त होती है। इस तकनीक में किसी भी विकिरण का खतरा नहीं होता है और न ही शरीर के किसी महत्वपूर्ण पक्ष पर दुष्प्रभाव पड़ता है। हालांकि एम आर आइ करते वक्त निम्नलिखित सावधानियों को ध्यान में रखना आवश्यक है ।
तैयारी- एमआरसीपी अध्ययन के लिए 4 से 6 घंटे का उपवास आवश्यक है ।अन्य भागों की इमेजिंग के लिए निम्नलिखित बातों को छोड़कर अन्य किसी महत्वपूर्ण तैयारी की आवश्यकता नहीं पड़ती है । छोटे बच्चों या असहाय रोगियों को अगर बेहोश करने की आवश्यकता पड़ती है तो रोगी को कम से कम 4 घंटे उपवास में रखना पड़ता है ताकि एम आर आई की प्रक्रिया बिना किसी व्यवधान के पूर्ण की जा सके। जिन मरीजों को गैडोलिनियम कंट्रास्ट के माध्यम से एम आर आइ करना है तो उन्हें गुर्दे की जांच एम आर आइ के पूर्व करवाना आवश्यक है चेतावनी जो रोगी निम्नलिखित चिकित्सा उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं वे एम आर आई की जांच नहीं करवा सकते
चेतावनी -कार्डियक पेसमेकर एन्यूरिज्मल क्लिप मस्तिष्क या आंख में कोकलिय--र प्रत्यारोपण तंत्रिका स्टिमूलेटर इंसुलिन पंप शरीरमें कोई अन्य लौह चुंबकीय वस्तुएं
जिस रोगी को निम्नलिखित उपकरणों का इस्तेमाल करना अनिवार्य है उन्हें एम आर आइ में सावधानी बरतने की जरूरत पड़ती है क्योंकि वह वस्तुए एम आर आइ इमेजिंग को प्रभावित कर सकती हैं
कृत्रिम जोड़ हृदय वाल्व एवं स्टर्नल वायर्स गर्भ निरोधक गर्भाशय उपकरण दंत प्रत्यारोपण नेल, प्लेट स्कूर् इम्प्लांटस वेसकूलर फिल्टर्स
निम्नलिखित वस्तुओं के एम आर आइ कक्ष में प्रवेश न करें :-
आभूषण पाकेट चाकू क्रेडिट कार्ड एवंअन्य चुंबकीय कार्ड सेफ्टीपिन धातु जिप चोली हुक घड़ी चाबियां सिक्के।
गर्भावस्था में एम आर आइ करना मना नहीं है लेकिन गर्भावस्था के शुरू के 3 महीनों में परहेज आवश्यक है अगर बहुत जरूरी हो तो इस अवस्था में चिकित्सक ऐसे मरीजों को समझा कर
एम आर आइ लिए भेज सकते हैं।
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